Monday, June 1, 2015

क्या सागरिका में है गुरुवर बनने का दम, आज तय करेंगे हम ।


भारत में एक खास प्रजाति के लोग होते हैं जो किसी इंसान को उसके नाम से नहीं बुला पाते, ये लोग सबको एक ही लाठी से हांक अर्थात जेनेरलाइज कर अपना दुकान चलाते हैं. ऐसे हीं हैं हम सब की प्रिय सागरिका जी। इन्होने ट्विटर पर एक पहचान बनायी, और भाजपा समर्थकों को 'इंटरनेट हिंदू' का सर्टीफिकेट दिया। सोचिये क्या सूनामी आयी इससे कि अल जजीरा पर बहस हुआ इसपर और विदेशी लोग इसपर आधा घंटा गिटिर पिटिर किये ।

अब बारी थी इंटरनेट हिंदुओं की तो उन्होने कई नाम दिये. पागलिका सबसे सटीक बैढा. हम यही पकड़ के चलते हैं.

अब ऐसा क्या दिखा पागलिका में कि लोपक पर विचार मंथन शुरु हो गया? सवाल ये था कि क्या पागलिका लेडी गुरुवर बन सकती है?

गुरुवर कौन है पहले ये जानिये. इस महान आत्मा का नाम है सत्यप्रकाश चौबे और इनका ट्विटर हत्था है @DESBANDHU ।  गुरुवर ओबामा को सलाह देते हैं, प्रियंका चोपरा के मुंहबोले प्रियतम हैं और ममता बनर्जी को भी नए नए आईडिया देते हैं. गुरुवर की हर बात निराली है, इनको फोटोशॉप में महारथ हासिल है. ये रामोदल के नाम से एक विश्व व्यापि संगठन चलाते हैं. ट्विटर पर इनके लाखों (माफ़ करें, इससे भी अधिक) समर्थक नियमित रूप से गुरुवर के विचारों पर चर्चा करते हैं. पिछले कुछ दिनों से पार्टी फण्ड को लेके कुछ समर्थकों के आरोप लगे और गुरुवर ने संन्यास लेने की धमकी दे दी है. अब हम सभी ढूंढ रहे हैं एक काम चलाऊ गुरुवर. 

इसी खोज के क्रम में विचार आया हमारी नयी सदस्य का कि लेडी गुरुवर पर भी विचार हो. और हम इसीलिए जांचेंगे कि क्या सागरिका घोष में वो बात है जो ये गुरुवर की जगह ले सकें. 

आपने लेडी गब्बर तो सुना होगा अब लेडी गुरुवर के बारे में जानिये.
आखिर कौन है इस जग में जो गॉड पार्टिकल से लेकर फ्रॉड पार्टिकल तक, संसार में मौजूद हर विषय पर ज्ञानवर्षा कर सकता है. अमिताभ बच्चन से लेकर नौसिखिये अभिनेताओं में सामान दोष ढूंढ सकता हो? जवाब है पगलिका। पगलिका को जीवन में एक अच्छा बाप मिला, और गुप्त सूत्र बताते हैं कि बाप की दूरदर्शन की नौकरी की वजह से दूर बैठे राजदीप सरदेसाई ने ब्याह रूपी जहर को पीना स्वीकार किया. खैर ज़हर तो पागलिका ने भी पिया क्योंकि समय समय पर खाजदीप के व्यापक लोककल्याड की खबरें भी आती रही हैं।

हम मानते हैं कि राजदीप टीवी दुनिया के लालू यादव हैं. जब मौका मिला अपना चैनल चलाने का तो उनको राबड़ी रूपी पागलिका में हीं पत्रकारिता का उज्जवल भविष्य दिखा पगलिका को उनमें और ऐसे पागलिका जी आ गयीं प्राईम टाइम पर। इनके लाल लिपिस्टिक को देख कर एक भोजपुरी गीत याद आता है- जब लगावेलू लिपिस्टिक, तऽ हीलेला सारा डिस्टिक।

लेकिन सवाल ये है कि क्या पिता-पति के कारण हीं पागलिका को इतना प्यार मिलता है भाजपा समर्थकों से या कोई और वजह है. हम मानते हैं कि पागलिका में लेडी गुरुवर बनने के सारे गुण मौजूद हैं. आखिर भारत के भटकते युवा को पागलिका से बेहतर कौन सिखा सकता है कि कैसे गोबर को लाल लिपिस्टिक और इको चैंबर इफेक्ट से प्राईम टाइम पर बेचा जा सकता है. कैसे भारत का अंग्रेजी समझने वाला पुरुष अपनी बीवी से लड़कर "कभी सास भी बहू थी" के समय में पागलिका को सुनता है और विदेश नीति के बारीकियों को सीखता है.

बचपन में सवाल का जवाब ना आने पर हमलोग सवाल को दुबारा दुहरा देते थे और मास्टर जी का ध्यान तब तक कहीं और होता था. उस कला को पागलिका नें अपने जीवन में उतारा. टीवी पर पैनल में आये बकैतों ने जो कहा उसकी आखिरी पंक्ति को कहीं दर्शक सही से सुन न पाये हों इसलिये दुबारा दुहरा दिया. यही है इको चैंबर इफेक्ट. पागलिका वो पहाड़ है जहां आपकी आवाज आपके कानों में बार बार गूंजेगी.


पागलिका एक ऐसी गुरुवर मैटेरियल है जिसकी फोटू को सामने रख कर आप मॉडर्न डे एकलव्य बन सकते हैं. आप सीख सकते हैं कि कैसे ओबामा के साथ फोटो खिंचवाया जाये और अगली बार निमंत्रन कार्ड न मिलने पर दुनिया को याद दिलाया जाये "बीन देयर, डन दैट". जैसे गुरुवार फोटोशॉप के मास्टर हैं वैसे ही सागरिका पुराने वीडियो का लाइव बना के दिखाने का कला जानती हैं. 

कैसे अपनी मूर्खता को हीं अपना हथियार बना लिया जाये. सूत्रों के मुताबिक आजकल वो किसी ऐसे चैनल पर एक या दो दिन कोई रिकार्डेड प्रोग्राम करती हैं जिसका नाम उनके कुछ ख़ास मित्र भी नहीं जानते फिर भी स्वयं प्रधानमंत्रीजी उन्हें DM भेजते हैं? अब और क्या चाहिए ?

जय हो पागलिका लेडी गुरुवर की. आप कलयुग की द्रोनाचार्य हो. तोहफा कबूल करो.

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